वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2025 को केंद्रीय बजट 2025-26 लोकसभा में पेश करेंगी। इस बजट में Sin Tax, जिसे पाप टैक्स भी कहा जाता है, में संभावित बदलाव को लेकर चर्चा तेज हो गई है। पाप टैक्स मुख्य रूप से तम्बाकू, शराब, सिगरेट और जुआ जैसे उत्पादों पर लगाया जाता है, जिन्हें समाज के लिए हानिकारक माना जाता है। इसका उद्देश्य इन वस्तुओं के उपभोग को नियंत्रित करना और कल्याणकारी योजनाओं के लिए धन जुटाना है।
पिछला बजट और वर्तमान टैक्स दरें
पिछले केंद्रीय बजट 2024-25 में सिन टैक्स में कोई बदलाव नहीं किया गया था, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 में सरकार ने पान मसाला, सिगार और चबाने वाले तम्बाकू जैसी वस्तुओं पर 28 प्रतिशत जीएसटी के साथ-साथ सिगरेट पर NCCD को 15-16 प्रतिशत तक बढ़ा दिया था। इस बढ़ोतरी के बावजूद, सिगरेट पर शुल्क को पिछले साल स्थिर रखा गया था। इससे रेवेन्यू सृजन और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।
क्या है Sin Tax और क्यों है जरूरी?
- Sin Tax उन वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाता है, जिन्हें समाज के लिए नुकसानदायक माना जाता है। इसका उद्देश्य इन उत्पादों को महंगा बनाकर उनकी खपत को कम करना है। तम्बाकू, शराब और जुआ जैसे उत्पादों पर हाई टैक्स न केवल उपभोग को रोकते हैं, बल्कि सरकार के लिए स्थिर राजस्व का स्रोत भी बनते हैं।
- विशेषज्ञों का कहना है कि तम्बाकू टैक्स राजस्व उत्पन्न करने का एक अत्यधिक प्रभावी साधन है क्योंकि इन वस्तुओं की मांग में लचीलापन नहीं है। उच्च टैक्स दर के बावजूद, इनकी खपत में भारी गिरावट नहीं होती, जिससे सरकार को स्थिर आय मिलती है।
2025-26 बजट में प्रस्तावित बदलाव
- इस बार के बजट में सिन गुड्स पर 35 प्रतिशत जीएसटी दर लागू करने की चर्चा हो रही है। दिसंबर 2024 में मंत्रियों के एक समूह (GoM) ने वात युक्त पेय पदार्थों, सिगरेट और तम्बाकू जैसे उत्पादों पर यह उच्च टैक्स दर लागू करने की सिफारिश की थी।
- अगर यह प्रस्ताव लागू होता है, तो इन वस्तुओं की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हो सकती है। हालांकि, अब तक कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है। वर्तमान में भारत में सिगरेट पर 52.7 प्रतिशत, चबाने वाले तम्बाकू पर 63.8 प्रतिशत और बीड़ी पर 22 प्रतिशत टैक्स लगता है। यह दरें अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुकाबले काफी कम हैं।
WHO के मानकों के अनुसार टैक्स दरें बढ़ाने की जरूरत
- भारत 182 देशों के बीच WHO फ्रेमवर्क कन्वेंशन का हस्ताक्षरकर्ता है, जिसके तहत तम्बाकू पर रिटेल प्राइस का कम से कम 75 प्रतिशत टैक्स होना चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को इस मानक को पूरा करने के लिए अपनी टैक्स पॉलिसी में सुधार करना चाहिए।
- तम्बाकू से जुड़ी बीमारियों का इलाज भारत की हेल्थ सर्विस लागत का बड़ा हिस्सा है। ऐसे में उच्च सिन टैक्स न केवल रेवेन्यू सृजन करेगा, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य सुधारने में भी मददगार साबित होगा।
कल्याणकारी कार्यक्रमों के लिए सिन टैक्स का महत्व
- सिन टैक्स से प्राप्त रेवेन्यू का उपयोग स्वास्थ्य कार्यक्रमों, नशामुक्ति अभियानों और आपदा राहत खर्चों के लिए किया जा सकता है। विशेष रूप से युवा पीढ़ी और निचले वर्गों के बीच इन उत्पादों की खपत को कम करने में यह टैक्स प्रभावी हो सकता है।
भविष्य की रणनीति: समान जीएसटी दर और पॉलिसी सुधार
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को सभी प्रकार के सिन गुड्स पर एक समान जीएसटी दर लागू करनी चाहिए। साथ ही, उत्पादकों के लिए खामियों को बंद करने की भी जरूरत है। पेय पदार्थों सहित अन्य पाप वस्तुओं पर उच्च टैक्स दर लागू करने से न केवल खपत कम होगी, बल्कि राजस्व में भी वृद्धि होगी।