मुंबई महानगर क्षेत्र (Mumbai Metropolitan Area) में वायु प्रदूषण की बढ़ती समस्या को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल वाहनों पर प्रतिबंध (Ban on Petrol-Diesel Vehicles) लगाने की संभावना पर विचार शुरू कर दिया है। इसके लिए सरकार ने एक सात सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया है, जो इस मामले की स्टडी कर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। इस समिति की अध्यक्षता सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी सुधीर कुमार श्रीवास्तव कर रहे हैं।
सरकारी प्रस्ताव के मुताबिक, यह समिति अगले तीन महीनों के भीतर अपनी सिफारिशें सौंपेगी, जिसके आधार पर मुंबई में पेट्रोल-डीजल वाहनों पर संभावित बैन को लेकर फैसला लिया जाएगा। इस अध्ययन के दायरे में मुंबई महानगर क्षेत्र (MMR) के अलावा ठाणे, रायगढ़ और पालघर जिले भी शामिल होंगे।
हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद सरकार की कार्रवाई
मुंबई में वायु प्रदूषण (Air Pollution) और ट्रैफिक जाम की गंभीरता को देखते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने 9 जनवरी को स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका पर सुनवाई की थी। हाईकोर्ट ने कहा कि मुंबई में वाहनों की बढ़ती संख्या वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है, और सरकार के मौजूदा कदम इसे नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए विशेषज्ञ समिति बनाने का निर्णय लिया, जो यह अध्ययन करेगी कि क्या मुंबई महानगर क्षेत्र (MMR) में पेट्रोल और डीजल वाहनों को पूरी तरह प्रतिबंधित कर केवल CNG और इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric Vehicles) को अनुमति दी जा सकती है।
क्या है महाराष्ट्र सरकार का प्रस्ताव?
महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी सरकारी प्रस्ताव (GR) में कहा गया है कि यह समिति क्षेत्र के विशेषज्ञों को शामिल कर उनकी राय ले सकती है। इसमें वायु गुणवत्ता विशेषज्ञ, पर्यावरणविद्, और परिवहन विशेषज्ञों की राय भी ली जाएगी, सरकार की योजना है कि यदि पेट्रोल-डीजल वाहनों को बैन करने का निर्णय लिया जाता है, तो इसका असर आम जनता पर कम से कम हो। इसके लिए CNG वाहनों को अधिक बढ़ावा देने और इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) के लिए नई नीतियां लाने की संभावनाएं तलाशी जाएंगी।
मुंबई में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति
मुंबई की वायु गुणवत्ता (Air Quality) बीते कुछ वर्षों में लगातार खराब हो रही है। शहर में प्रदूषण का बड़ा कारण वाहनों से निकलने वाला धुआं और निर्माण कार्य माने जा रहे हैं। कई बार मुंबई की एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) दिल्ली से भी खराब दर्ज की गई है, विशेषज्ञों के मुताबिक, यदि सरकार पेट्रोल और डीजल वाहनों को बैन करने का निर्णय लेती है, तो यह मुंबई की वायु गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए एक बड़ा कदम हो सकता है।
इलेक्ट्रिक और CNG वाहनों को मिलेगा बढ़ावा
अगर सरकार इस प्रस्ताव को लागू करती है, तो इलेक्ट्रिक और CNG वाहनों (CNG & EV Vehicles) को तेजी से अपनाने के लिए नई योजनाएं बनाई जा सकती हैं। मुंबई में पहले से ही CNG और इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं, राज्य सरकार संभवतः इलेक्ट्रिक वाहनों को खरीदने पर सब्सिडी बढ़ा सकती है, साथ ही चार्जिंग स्टेशनों की संख्या में भी वृद्धि कर सकती है। इसके अलावा, सार्वजनिक परिवहन जैसे बेस्ट बसें (BEST Buses) और टैक्सियों को भी CNG और इलेक्ट्रिक वर्जन में बदलने पर विचार किया जा सकता है।
उद्योगों और व्यापारियों पर क्या होगा असर?
- मुंबई में पेट्रोल-डीजल वाहनों पर प्रतिबंध से स्थानीय व्यवसायों, लॉजिस्टिक्स, और परिवहन उद्योगों पर भी असर पड़ेगा। लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्ट व्यवसायों को अपने वाहनों को CNG या इलेक्ट्रिक में बदलने में समय और अधिक निवेश की जरूरत पड़ेगी।
- हालांकि, सरकार इस बदलाव को चरणबद्ध तरीके से लागू कर सकती है ताकि व्यापारियों और आम जनता पर इसका अधिक प्रभाव न पड़े।
क्या जनता तैयार है इस बदलाव के लिए?
मुंबई जैसे बड़े शहर में जहां रोज़ाना लाखों लोग यात्रा करते हैं, वहां पेट्रोल-डीजल वाहनों का प्रतिबंध (Petrol-Diesel Vehicle Ban) एक बड़ी चुनौती हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस फैसले को लागू करने से पहले सरकार को पर्याप्त चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और CNG पंप की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी, यदि यह प्रस्ताव लागू किया जाता है, तो मुंबई भारत का पहला ऐसा प्रमुख शहर बन सकता है जहां पूरी तरह से CNG और इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाया जाएगा।