
नई दिल्ली: Saraswati Puja 2025 को लेकर इस बार भक्तों के बीच असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कुछ पंचांगों के अनुसार यह पूजा 2 फरवरी को होगी, जबकि कई प्रमुख पंचांग इसे 3 फरवरी को अधिक शुभ और शास्त्र सम्मत मान रहे हैं। पंचांगों के मतभेद के कारण श्रद्धालुओं में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर सही तारीख कौन सी है? इस लेख में हम विस्तार से बताएंगे कि किस तिथि को सरस्वती पूजा करना अधिक शुभ रहेगा और इसका सही शुभ मुहूर्त क्या होगा।
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Saraswati Puja 2025 की तारीख को लेकर क्यों है कंफ्यूजन?
हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी (Vasant Panchami) और सरस्वती पूजा (Saraswati Puja) मनाई जाती है। यह पर्व ज्ञान, बुद्धि और विद्या की देवी मां सरस्वती को समर्पित है। इस बार पंचमी तिथि को लेकर मतभेद देखने को मिल रहा है।
- 2 फरवरी 2025: पंचांग दिवाकर के अनुसार, पंचमी तिथि 2 फरवरी को भी मौजूद रहेगी और इस दिन पूजा करने का शुभ योग रहेगा।
- 3 फरवरी 2025: प्रमुख ज्योतिषाचार्यों और अन्य पंचांगों के अनुसार, 3 फरवरी को उदया तिथि में पंचमी पड़ रही है, जिससे यह तिथि अधिक मान्य होगी। साथ ही, इसी दिन कुंभ का शाही स्नान भी है, जो इसे और पवित्र बना देता है।
Saraswati Puja 2025: शुभ मुहूर्त और तिथि का विवरण
2 फरवरी 2025 को पंचमी तिथि का समय:
- पंचमी तिथि प्रारंभ: 2 फरवरी 2025 को दोपहर 12:09 बजे
- पंचमी तिथि समाप्त: 3 फरवरी 2025 को दोपहर 08:03 बजे
3 फरवरी 2025 को पूजा का श्रेष्ठ मुहूर्त:
- पूजा का शुभ समय: प्रातः 07:12 बजे से दोपहर 12:35 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त: प्रातः 11:55 बजे से 12:40 बजे तक
- ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 04:15 बजे से 05:05 बजे तक
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3 फरवरी को पूजा करना क्यों होगा अधिक शुभ?
ज्योतिष शास्त्र में उदया तिथि को अधिक महत्व दिया जाता है। चूंकि पंचमी तिथि 3 फरवरी को सूर्योदय के समय मौजूद होगी, इसलिए इसी दिन पूजा करना श्रेष्ठ रहेगा। इसके अलावा, इस दिन कुंभ मेला 2025 का शाही स्नान भी पड़ रहा है, जिससे यह तिथि और भी शुभ मानी जा रही है।
Saraswati Puja 2025: पूजा विधि और महत्व
सरस्वती पूजा में विशेष रूप से माता सरस्वती की प्रतिमा स्थापित कर उनकी विधिपूर्वक पूजा की जाती है। इस दिन विशेष रूप से पीले वस्त्र धारण करना, पीले फूल चढ़ाना और सरस्वती वंदना करना शुभ माना जाता है। विद्यार्थी और कलाकार इस दिन अपनी पुस्तकों, वाद्य यंत्रों और अन्य शैक्षिक सामग्रियों को मां सरस्वती के चरणों में अर्पित कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
पूजा विधि:
- प्रातः स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें।
- मां सरस्वती की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें।
- दीपक जलाकर पीले फूल, अक्षत (चावल) और हल्दी चढ़ाएं।
- मां सरस्वती के मंत्रों का जाप करें – “ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः”।
- प्रसाद के रूप में पीली मिठाई या खीर चढ़ाएं।
- बच्चों को शिक्षा के प्रति प्रेरित करें और विद्या की देवी का आशीर्वाद प्राप्त करें।
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Saraswati Puja 2025: इससे जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य
- सरस्वती पूजा को विद्या और कला का पर्व माना जाता है, जिसे स्कूल, कॉलेज, मंदिरों और घरों में धूमधाम से मनाया जाता है।
- इस दिन अक्षरारंभ (Vidyarambh Sanskar) करना शुभ माना जाता है, जिसमें छोटे बच्चों को पहली बार पढ़ाई-लिखाई शुरू करवाई जाती है।
- पीले रंग का विशेष महत्व होता है, क्योंकि यह बुद्धि और ज्ञान का प्रतीक है।
- इस दिन पतंग उड़ाने की परंपरा भी कई स्थानों पर प्रचलित है।