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₹300 रोज कमाने वाला अब नहीं ले सकेगा मुफ्त राशन, खाद्य सुरक्षा योजना से काटा जा रहा नाम

खाद्य सुरक्षा योजना के तहत नई आय सीमा के कारण कई जरूरतमंद परिवार सरकारी राशन से वंचित हो सकते हैं। ‘गिव अप’ अभियान के तहत अब तक लाखों लोग योजना से बाहर हो चुके हैं। सरकार इस मामले पर पुनर्विचार कर रही है, लेकिन तब तक कई गरीब परिवारों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

By PMS News
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₹300 रोज कमाने वाला अब नहीं ले सकेगा मुफ्त राशन, खाद्य सुरक्षा योजना से काटा जा रहा नाम
Change in rules for free ration

खाद्य सुरक्षा योजना (Food Security Scheme) के अंतर्गत सरकार द्वारा गरीब और जरूरतमंद परिवारों को सस्ती दरों पर राशन उपलब्ध कराया जाता है। लेकिन हाल ही में आय सीमा की नई शर्तों के कारण कई योग्य लाभार्थियों को इस योजना से बाहर किया जा रहा है। नए प्रावधानों के अनुसार, यदि किसी परिवार की सालाना आय एक लाख रुपए से अधिक है, तो वे अब इस योजना के तहत राशन के पात्र नहीं होंगे। इसका सीधा असर उन दिहाड़ी मजदूरों, ऑटो रिक्शा चालकों, रेहड़ी संचालकों और अन्य गरीब तबकों पर पड़ रहा है, जो सरकारी राशन पर निर्भर थे।

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जरूरतमंदों पर पड़ रहा असर

कई उपभोक्ताओं को राशन डीलरों और विभागीय अधिकारियों के दबाव में ‘गिव अप’ फॉर्म भरने के लिए मजबूर किया जा रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 85% जरूरतमंद उपभोक्ताओं पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। अजमेर जिले में ही हजारों परिवार खाद्य सुरक्षा योजना (NFSA) के तहत लाभान्वित हो रहे थे, लेकिन आय सीमा की नई शर्त के कारण वे अब इस सुविधा से वंचित हो सकते हैं।

योजना का मूल उद्देश्य और वर्तमान स्थिति

खाद्य सुरक्षा योजना (Food Security Act) का मूल उद्देश्य गरीबों को रियायती दर पर अनाज उपलब्ध कराना था, लेकिन सरकारी लापरवाही और अनदेखी के कारण योजना में सक्षम परिवारों को भी लाभ मिल रहा था। पिछले तीन वर्षों में सरकार ने इस योजना से अपात्र लाभार्थियों को हटाने की कोशिश की, लेकिन 100% सफलता नहीं मिल सकी।

300 रुपए कमाने वाला भी योजना से बाहर

गिव अप अभियान (Give Up Campaign) के तहत, अगर कोई व्यक्ति प्रतिदिन 300 रुपए भी कमाता है, तो उसकी सालाना आय एक लाख से अधिक मानी जाएगी और वह खाद्य सुरक्षा योजना से बाहर हो जाएगा। इस श्रेणी में दिहाड़ी मजदूर, ऑटो चालक, रेहड़ी-पटरी वाले, तथा अन्य असंगठित क्षेत्र के श्रमिक शामिल हैं।

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राज्य में 11 लाख यूनिट घटे

सरकारी पड़ताल में यह सामने आया है कि गिव अप अभियान और अपात्र लाभार्थियों की जांच के चलते राज्य में 11 लाख यूनिट (उपभोक्ता) योजना से बाहर हो चुके हैं। केवल अजमेर और ब्यावर जिलों में ही 1200-1200 राशन कार्ड रद्द कर दिए गए, जिससे लगभग 5000 उपभोक्ता प्रभावित हुए हैं।

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सरकारी प्रावधान और दिशानिर्देश

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत निम्नलिखित श्रेणियों के लोग योजना के पात्र नहीं होंगे:

  1. यदि परिवार का कोई सदस्य आयकरदाता है।
  2. यदि परिवार की सालाना आय एक लाख रुपए से अधिक है।
  3. यदि परिवार के पास निजी चौपहिया वाहन है।
  4. यदि परिवार का कोई सदस्य सरकारी, अर्द्ध-सरकारी या स्वायत्तशासी संस्था में कार्यरत है।
  5. ऐसे अपात्र लाभार्थियों को 31 जनवरी तक गिव अप फॉर्म भरना अनिवार्य किया गया है।

गरीब तबके की अनदेखी

श्रम विभाग की गाइडलाइन के अनुसार, अकुशल श्रमिक को 285 रुपए, अर्द्धकुशल को 330 रुपए और कुशल श्रमिक को 385 रुपए प्रतिदिन का पारिश्रमिक मिलता है। इस आधार पर उनकी सालाना आय क्रमशः 1,06,000, 1,18,800 और 1,38,600 रुपए तक हो जाती है। जबकि खाद्य विभाग के नियमों के अनुसार, एक लाख से अधिक आय वाले लाभार्थी योजना से बाहर किए जा रहे हैं। इससे जरूरतमंद परिवारों को परेशानी हो रही है।

वास्तविक केस स्टडीज

केस 1: कोटड़ा वार्ड निवासी विनोद (बदला हुआ नाम) ऑटो रिक्शा चालक हैं और कोविड-19 काल में एनएफएसए (NFSA) के तहत जुड़ गए थे। उनकी सालाना आय 1,08,000 रुपए है, जिसके चलते राशन डीलर उन्हें गिव अप फॉर्म भरने के लिए मजबूर कर रहा है।

केस 2: अलवरगेट जादूघर बस्ती की रेवंती देवी (बदला हुआ नाम) का परिवार दिहाड़ी मजदूरी करता है। उनकी सालाना आय 1,00,000 से 1,50,000 रुपए के बीच है। उनके 6 सदस्यीय परिवार की राशन पर निर्भरता है, लेकिन नए नियमों के चलते उन्हें राशन नहीं मिलेगा।

सरकारी प्रतिक्रिया और भविष्य की योजना

राज्य सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जयपुर मुख्यालय को आय सीमा बढ़ाने का सुझाव भेजा है। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि अब तक 1200 राशन कार्डधारी गिव अप फॉर्म भर चुके हैं। सक्षम व्यक्ति 30 जनवरी से पहले गिव अप कर सकते हैं ताकि कानूनी कार्रवाई से बचा जा सके।

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