शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों के शिक्षकों द्वारा निजी ट्यूशन और कोचिंग सेंटर संचालित करने पर रोक लगाने के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। अब शिक्षक निजी ट्यूशन या कोचिंग सेंटर में पढ़ाने का काम नहीं कर सकेंगे। हालांकि, उन्हें अपने घर पर अधिकतम तीन छात्रों को पढ़ाने की अनुमति दी गई है, लेकिन इसके लिए संस्था प्रधान से लिखित अनुमति लेना अनिवार्य होगा।
शिक्षकों के लिए शपथ-पत्र अनिवार्य
नई गाइडलाइन के अनुसार, हर शैक्षणिक सत्र की शुरुआत में शिक्षकों को शपथ-पत्र भरना होगा, जिसमें वे यह वचन देंगे कि वे निजी ट्यूशन या कोचिंग सेंटर में पढ़ाने का कार्य नहीं करेंगे। शिक्षा निदेशक ने इस संबंध में सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को सख्त आदेश जारी किए हैं। इन आदेशों का पालन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी स्कूल प्रमुखों और जिला शिक्षा अधिकारियों पर होगी।
शिकायत मिलने पर होगी सख्त कार्रवाई
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि जिन शिक्षकों पर बिना अनुमति ट्यूशन पढ़ाने या कोचिंग सेंटर चलाने की शिकायतें मिलेंगी, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। गाइडलाइन में कहा गया है कि यह कदम छात्रों की शैक्षिक गुणवत्ता सुधारने और शिक्षकों को उनके दायित्वों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
संस्था प्रधानों को सौंपी निगरानी की जिम्मेदारी
गाइडलाइन के तहत संस्था प्रधानों को निर्देश दिए गए हैं कि वे शिक्षकों की गतिविधियों पर नजर रखें। स्कूल प्रमुखों को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी शिक्षक विभागीय स्वीकृति के बिना ट्यूशन या कोचिंग सेंटर न चलाए। इसके अलावा, जिला शिक्षा अधिकारी स्कूल निरीक्षण के दौरान छात्रों से व्यक्तिगत रूप से बातचीत कर वस्तुस्थिति का पता लगाएंगे।
शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार पर जोर
शिक्षा निदेशक ने कहा है कि यह निर्णय छात्रों को कक्षाओं में ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के उद्देश्य से लिया गया है। प्राइवेट ट्यूशन का चलन रोकने और सरकारी स्कूलों की शिक्षण व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए यह कदम आवश्यक था। विभाग का मानना है कि शिक्षक अगर अपने कर्तव्यों का पूरी निष्ठा से पालन करें तो छात्रों को निजी ट्यूशन की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
शिक्षकों की जिम्मेदारियों का निर्धारण
शिक्षकों पर निगरानी रखने की प्रक्रिया में संस्था प्रधान और जिला शिक्षा अधिकारी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। गाइडलाइन के अनुसार, यदि किसी शिक्षक पर निजी कोचिंग सेंटर चलाने की शिकायत मिलती है, तो संस्था प्रधान इसकी जांच करेंगे और जिला शिक्षा अधिकारियों को इसकी सूचना देंगे।
छात्रों के हितों की प्राथमिकता
यह गाइडलाइन छात्रों के हितों की सुरक्षा और उनके शैक्षणिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है। शिक्षा विभाग का मानना है कि इससे छात्रों को कक्षा में ही अपना पाठ्यक्रम समझने में मदद मिलेगी और उन्हें अतिरिक्त खर्च उठाने की जरूरत नहीं होगी, नई गाइडलाइन शिक्षकों को उनके कर्तव्यों और छात्रों की जरूरतों को प्राथमिकता देने का संदेश देती है। शिक्षा निदेशक ने यह भी कहा है कि शिक्षकों का दायित्व है कि वे छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करें और उनके भविष्य को उज्जवल बनाएं।
नियमों के पालन से होगा सुधार
शिक्षा विभाग द्वारा लागू की गई यह गाइडलाइन सरकारी स्कूलों में शिक्षण व्यवस्था को मजबूत बनाने और शिक्षकों को उनके दायित्वों के प्रति अधिक जिम्मेदार बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यदि इस गाइडलाइन का प्रभावी रूप से क्रियान्वयन किया जाए तो यह छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए लाभदायक साबित होगा।