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₹300 रोज कमाने वाला अब नहीं ले सकेगा मुफ्त राशन, खाद्य सुरक्षा योजना से काटा जा रहा नाम

खाद्य सुरक्षा योजना में नए नियमों से हजारों जरूरतमंद परिवार राशन से वंचित! रोज़ 300 कमाने वाला भी बाहर? जानिए कैसे सरकार के गिव अप अभियान ने गरीबों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं और क्या हो सकता है इसका समाधान

By PMS News
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₹300 रोज कमाने वाला अब नहीं ले सकेगा मुफ्त राशन, खाद्य सुरक्षा योजना से काटा जा रहा नाम
₹300 रोज कमाने वाला अब नहीं ले सकेगा मुफ्त राशन, खाद्य सुरक्षा योजना से काटा जा रहा नाम

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना (Food Security Scheme) में किए गए हालिया बदलावों के कारण हजारों जरूरतमंद परिवार राशन सामग्री से वंचित हो सकते हैं। सरकार द्वारा पारित नए नियम के तहत यदि परिवार की वार्षिक आय एक लाख रुपये से अधिक होती है, तो उसे सरकारी राशन नहीं मिलेगा। इस प्रावधान के कारण अजमेर जिले सहित राजस्थान के कई जिलों में बड़ी संख्या में परिवार प्रभावित हो रहे हैं।

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राशन कार्ड धारकों पर गिव अप फार्म भरने का दबाव

राशन डीलर और विभागीय अधिकारी उपभोक्ताओं पर ‘गिव अप’ फार्म भरने का दबाव बना रहे हैं। इस नए नियम के कारण करीब 85% जरूरतमंद उपभोक्ताओं को परेशानी झेलनी पड़ रही है। जानकारी के मुताबिक, राज्य के कई परिवार इस योजना से वंचित होने के कगार पर हैं, जबकि सक्षम परिवारों द्वारा अवैध रूप से राशन सामग्री लेने के कई मामले सामने आए हैं।

कौन नहीं ले सकेगा सरकारी राशन?

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (National Food Security Act) के तहत यदि किसी परिवार में निम्नलिखित शर्तें लागू होती हैं, तो वह सरकारी राशन के पात्र नहीं होंगे:

  • परिवार की वार्षिक आय 1 लाख रुपये से अधिक हो
  • परिवार का कोई सदस्य आयकरदाता हो
  • परिवार के पास प्राइवेट चौपहिया वाहन हो
  • परिवार का कोई सदस्य सरकारी, अर्ध-सरकारी, स्वायत्त संस्थान में कार्यरत हो

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300 रुपये कमाने वाला भी योजना से बाहर

राज्य सरकार द्वारा लागू किए गए इस नियम के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति रोज़ 300 रुपये कमाता है, तो उसकी सालाना आय एक लाख के पार हो जाती है और उसे राशन नहीं मिलेगा। इसमें दिहाड़ी मजदूर, ऑटो चालक, रेहड़ी-पटरी दुकानदार, कुशल और अकुशल श्रमिक भी शामिल हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, यह निर्णय गरीब तबके के लोगों को सरकारी राहत से वंचित कर सकता है।

बीते तीन वर्षों में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने अपात्र लाभार्थियों को योजना से बाहर निकालने के प्रयास किए, लेकिन अभी तक सौ फीसदी सफलता नहीं मिली है। इस कारण केंद्र से मिलने वाले गेहूं के आवंटन में गड़बड़ी हो रही है।

अजमेर जिले में हजारों राशन कार्ड प्रभावित

  • राजस्थान सरकार द्वारा चलाए जा रहे ‘गिव अप’ अभियान के तहत अब तक राज्य में 11 लाख उपभोक्ता योजना से बाहर हो चुके हैं। अजमेर और ब्यावर जिलों में ही करीब 1200-1200 राशन कार्ड से 5000-5000 यूनिट कम हो गए हैं।

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गरीब तबके को भारी नुकसान

क्रांति सेना समिति के प्रमुख लोकेश सिंह चौहान के अनुसार, श्रम विभाग के अनुसार अकुशल श्रमिक की न्यूनतम मजदूरी 285 रुपये प्रतिदिन है, जिससे उनकी वार्षिक आय 1,06,000 रुपये हो जाती है। इसी तरह अर्द्धकुशल श्रमिक की आय 1,18,800 रुपये और कुशल श्रमिक की आय 1,38,600 रुपये है। लेकिन खाद्य सुरक्षा योजना के नए नियम के अनुसार 1,00,000 रुपये से अधिक आय वालों को राशन नहीं मिलेगा।

बैंक लोन के लिए आयकर रिटर्न भरना बना मुसीबत

गरीब और निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार अक्सर बैंक लोन लेने के लिए आयकर रिटर्न (ITR) भरते हैं। ऐसे में, उनका सालाना इनकम 1 लाख से ज्यादा दिखता है, जिससे वे खाद्य सुरक्षा योजना से बाहर हो सकते हैं। यह उन परिवारों के लिए बड़ी समस्या बन रही है, जो सरकारी राशन पर निर्भर हैं।

वास्तविक केस स्टडीज

केस-1: ऑटो रिक्शा चालक विनोद (बदला हुआ नाम)

अजमेर के कोटड़ा वार्ड नंबर 1 निवासी विनोद, जो ऑटो रिक्शा चलाकर जीविका चलाते हैं, कोविड काल में खाद्य सुरक्षा योजना से जुड़े थे। उनकी सालाना आय 1,08,000 रुपये है। नए नियमों के कारण उन्हें ‘गिव अप’ फार्म भरने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

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केस-2: दिहाड़ी मजदूर रेवंती देवी (बदला हुआ नाम)

अलवरगेट जादूघर बस्ती की निवासी रेवंती देवी का परिवार दिहाड़ी मजदूरी करता है। उनकी रोजाना आय 500 रुपये के करीब है, जिससे वार्षिक आमदनी 1,50,000 रुपये तक पहुंच जाती है। 6 सदस्यीय परिवार सरकारी गेहूं पर निर्भर है, लेकिन नए नियमों के चलते उनका राशन बंद होने की कगार पर है।

खाद्य सुरक्षा योजना के तहत एक लाख रुपये की वार्षिक आय सीमा को लेकर विवाद बढ़ रहा है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, राज्य स्तर पर इस आय सीमा को बढ़ाने के लिए जयपुर मुख्यालय को प्रस्ताव भेजा गया है।

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