केंद्र सरकार जल्द ही ‘शत्रु संपत्ति अधिनियम’ (Enemy Property Act) में बड़े बदलाव लाने जा रही है। ये बदलाव सरकार को शत्रु संपत्तियों पर सीधा नियंत्रण देंगे, जिससे इन्हें ‘सार्वजनिक हित’ (Public Interest) में इस्तेमाल किया जा सकेगा। 1968 में बने इस अधिनियम के तहत शत्रु संपत्तियां ‘कस्टोडियन ऑफ एनिमी प्रॉपर्टी’ (Custodian of Enemy Property) के अधीन रहती थीं, लेकिन इन पर सरकार का प्रत्यक्ष अधिकार नहीं था। अब प्रस्तावित संशोधनों से सरकार इन संपत्तियों को सीधे अपने नियंत्रण में लेकर उपयोग कर सकेगी।
शत्रु संपत्ति अधिनियम में प्रस्तावित बदलाव सरकार को इन संपत्तियों पर सीधा अधिकार देने के साथ-साथ इन्हें ‘सार्वजनिक हित’ में उपयोग करने का मौका देगा। यह कदम न केवल सरकारी राजस्व बढ़ाने में मदद करेगा, बल्कि इन संपत्तियों का उपयोग समाज के व्यापक हित में किया जा सकेगा।
शत्रु संपत्तियां: क्या है मौजूदा स्थिति?
‘शत्रु संपत्तियां’ उन लोगों की हैं, जिन्होंने भारत के खिलाफ युद्ध के बाद पाकिस्तान या चीन की नागरिकता ले ली थी। 1965 और 1971 में पाकिस्तान तथा 1962 में चीन के साथ युद्ध के दौरान और उसके बाद, भारत सरकार ने इन लोगों की संपत्तियों को ‘डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट’ (Defense of India Act, 1962) के तहत अपने कब्जे में ले लिया था।
वर्तमान में, ये संपत्तियां कस्टोडियन के पास रहती हैं, जिन्हें बेचने या किसी अन्य को हस्तांतरित करने की अनुमति नहीं है। 2017 में हुए संशोधन के बाद ‘शत्रु नागरिक’ और ‘शत्रु कंपनी’ की परिभाषा को और स्पष्ट किया गया था।
नए संशोधन से क्या बदलेगा?
सरकार अधिनियम की धारा 5 में संशोधन कर रही है, जिसके तहत कस्टोडियन इन संपत्तियों को सरकार को बिना किसी रोक-टोक के ट्रांसफर कर सकेगा। इन संपत्तियों का उपयोग ‘सार्वजनिक हित’ के लिए किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार, लखनऊ नगर निगम से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह बदलाव अनिवार्य हो गया है।
यह प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट में पेश किया जाएगा और बजट सत्र में इसे संसद में रखने की योजना है।
छह सालों में ₹3,494.93 करोड़ की संपत्तियां बिकीं
- पिछले छह सालों में केंद्र सरकार ने ₹3,494.93 करोड़ मूल्य की शत्रु संपत्तियों को बेचकर राजस्व जुटाया है। 2018 में सरकार ने लोकसभा को बताया था कि पाकिस्तानी नागरिकों की 9,280 और चीनी नागरिकों की 126 शत्रु संपत्तियां हैं।
बिक्री प्रक्रिया की निगरानी के लिए मंत्री समूह
- 2020 में सरकार ने गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में एक ‘ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स’ (Group of Ministers) का गठन किया। यह समूह 1 लाख करोड़ रुपये मूल्य की 9,400 से अधिक शत्रु संपत्तियों की बिक्री प्रक्रिया की निगरानी कर रहा है।
शत्रु संपत्तियों का उपयोग ‘सार्वजनिक हित’ में
- सरकार ने स्पष्ट किया है कि इन संपत्तियों का उपयोग स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास और अन्य रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) जैसे सार्वजनिक हित के प्रोजेक्ट्स के लिए किया जा सकता है।