
हरियाणा में आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Yojna) के लाभार्थियों को जल्द ही बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। राज्य के 600 निजी अस्पतालों ने इस योजना के तहत मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाओं को रोकने की चेतावनी दी है। इन अस्पतालों का आरोप है कि सरकार ने लंबे समय से उनके बकाए भुगतान नहीं किए हैं, जिससे उनके लिए सेवाएं जारी रखना मुश्किल हो गया है।
आयुष्मान भारत योजना: देशभर में बढ़ती लोकप्रियता
आयुष्मान भारत योजना केंद्र सरकार द्वारा संचालित स्वास्थ्य योजना है, जिसका उद्देश्य देश के गरीब और जरूरतमंद लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है। इसके तहत पात्र परिवारों को हर साल 5 लाख रुपये तक का कैशलेस इलाज मिलता है। योजना का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं को गरीबों तक पहुंचाना और उन्हें आर्थिक बोझ से राहत देना है। हालांकि, हरियाणा में इस योजना को लेकर विवाद अब बड़ी समस्या बन गया है।
हरियाणा के निजी अस्पतालों का आरोप
हरियाणा के निजी अस्पतालों का कहना है कि राज्य सरकार ने उनके बकाए भुगतान का निपटान नहीं किया है। अस्पताल प्रबंधन के अनुसार, इन बकायों की राशि करोड़ों में पहुंच गई है। कई अस्पतालों ने इस देरी को लेकर अपनी वित्तीय स्थिति पर चिंता जताई है और कहा है कि बिना भुगतान के सेवाओं को जारी रखना संभव नहीं है।
600 अस्पतालों का सामूहिक निर्णय
- 600 से अधिक निजी अस्पतालों ने एक साथ मिलकर सरकार को चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही उनके बकाए का भुगतान नहीं किया गया, तो वे आयुष्मान भारत योजना के तहत स्वास्थ्य सेवाएं रोक देंगे। इस सामूहिक निर्णय ने राज्य सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है।
सरकार और अस्पतालों के बीच मतभेद
हरियाणा सरकार और निजी अस्पतालों के बीच मतभेद का यह मुद्दा नया नहीं है। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि बार-बार सरकार से बात करने के बावजूद समस्या का समाधान नहीं हो सका है। दूसरी ओर, राज्य सरकार का दावा है कि वह समस्या के समाधान के लिए प्रयासरत है और जल्द ही बकाया भुगतान किया जाएगा।
लाखों मरीज होंगे प्रभावित
अगर यह समस्या जल्द सुलझाई नहीं गई तो हरियाणा में लाखों आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थी प्रभावित हो सकते हैं। यह योजना गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा का महत्वपूर्ण साधन है। निजी अस्पतालों की सेवाएं बंद होने से मरीजों को इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों पर निर्भर होना पड़ेगा, जिससे वहां भीड़ बढ़ सकती है और इलाज में देरी हो सकती है।
समस्या का समाधान जरूरी
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार और अस्पताल प्रबंधन को मिलकर इस समस्या का समाधान निकालना चाहिए। अगर यह विवाद लंबा चलता है तो इससे योजना की साख पर बुरा असर पड़ेगा। साथ ही, गरीब मरीजों को इलाज में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, राज्य सरकार ने फिलहाल इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई की घोषणा नहीं की है। हालांकि, उम्मीद की जा रही है कि सरकार जल्द ही अस्पताल प्रबंधन से बातचीत करेगी और बकाए भुगतान का समाधान निकालेगी।