उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू होने के बाद अब शादी और तलाक के पंजीकरण को अनिवार्य कर दिया गया है। गृह सचिव शैलेश बगौली द्वारा जारी शासनादेश में यह स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई भी दंपति 90 दिनों के भीतर विवाह पंजीकरण (Marriage Registration) नहीं कराता है, तो उसे 10,000 रुपये तक का जुर्माना भरना होगा। यह नियम उत्तराखंड UCC के तहत लागू किया गया है और इसका उद्देश्य सभी विवाह और तलाक को कानूनी रूप से दर्ज कराना है, जिससे किसी भी तरह के विवाद से बचा जा सके।
90 दिनों के भीतर शादी का पंजीकरण अनिवार्य
उत्तराखंड सरकार ने नए UCC कानून के तहत शादी और तलाक का पंजीकरण तय समयसीमा के भीतर कराना अनिवार्य कर दिया है। इस नियम के तहत:
- शादी के 90 दिन के भीतर पंजीकरण कराना होगा।
- अगर कोई व्यक्ति निर्धारित समयसीमा में विवाह पंजीकरण नहीं कराता है, तो उसे 5,000 से 10,000 रुपये तक का जुर्माना देना होगा।
- तलाक होने पर भी इसका पंजीकरण कराना आवश्यक होगा।
शादी और तलाक के लिए नया नियम क्यों जरूरी?
उत्तराखंड सरकार ने UCC लागू करने के बाद यह सख्त नियम बनाया है, ताकि विवाह और तलाक से जुड़े मामलों में पारदर्शिता लाई जा सके। कई बार बिना पंजीकरण के शादी करने के कारण दंपति को भविष्य में कानूनी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, संपत्ति विवाद और उत्तराधिकार से जुड़े मामलों में भी यह कानून सहायक साबित होगा।
उत्तराखंड में UCC के अन्य प्रावधान
उत्तराखंड सरकार द्वारा लागू किए गए UCC में सिर्फ विवाह और तलाक ही नहीं, बल्कि अन्य कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं:
- लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण – अब लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों को भी कानूनी रूप से अपनी जानकारी दर्ज करानी होगी।
- एक विवाह का प्रावधान – UCC के तहत अब बहु-विवाह (Polygamy) पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है।
- संपत्ति अधिकारों में समानता – महिलाओं और पुरुषों को संपत्ति अधिकारों में समान दर्जा देने का प्रावधान किया गया है।
- अवैध तलाक और हलाला की समाप्ति – अब तीन तलाक और हलाला जैसी प्रथाओं को अवैध माना जाएगा।
विवाह पंजीकरण न कराने पर क्या होंगी कानूनी कार्रवाई?
अगर कोई व्यक्ति निर्धारित समयसीमा में विवाह का पंजीकरण नहीं कराता है, तो उसे निम्नलिखित कानूनी दंड का सामना करना पड़ सकता है:
- पहले 90 दिनों के बाद 5,000 रुपये तक का जुर्माना।
- लगातार देरी होने पर 10,000 रुपये तक का आर्थिक दंड।
- भविष्य में कानूनी मान्यता प्राप्त न होने की स्थिति में विवाह प्रमाणपत्र के अभाव में सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल सकेगा।
UCC लागू होने के बाद लोगों की प्रतिक्रिया
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू होने के बाद लोगों की मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कुछ लोग इसे सकारात्मक बदलाव मान रहे हैं, जबकि कुछ का कहना है कि पंजीकरण अनिवार्य करने से व्यक्तिगत स्वतंत्रता प्रभावित होगी। हालांकि, सरकार का कहना है कि UCC का उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए समान कानून लागू करना है, ताकि सामाजिक न्याय सुनिश्चित किया जा सके।
शादी और तलाक पंजीकरण का तरीका
शादी और तलाक का पंजीकरण अब ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से कराया जा सकता है।
- ऑनलाइन प्रक्रिया – सरकारी पोर्टल पर जाकर आवेदन करना होगा और जरूरी दस्तावेज अपलोड करने होंगे।
- ऑफलाइन प्रक्रिया – स्थानीय तहसील या रजिस्ट्रार ऑफिस में जाकर विवाह प्रमाण पत्र (Marriage Certificate) के लिए आवेदन किया जा सकता है।