
मध्यप्रदेश सरकार ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए प्रदेश में एसेंशियल सर्विसेज मैनेजमेंट एक्ट (एस्मा-ESMA) लागू कर दिया है। यह आदेश विशेष रूप से शिक्षा विभाग पर लागू किया गया है, जिससे अब सरकारी कर्मचारी, अधिकारी और शिक्षक महाकुंभ में संगम स्नान नहीं कर सकेंगे। एस्मा लागू करने का मुख्य उद्देश्य आगामी एमपी बोर्ड परीक्षाओं को सुचारू रूप से संपन्न कराना है। प्रदेश में 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं 24 फरवरी से शुरू हो रही हैं और इसे ध्यान में रखते हुए 15 फरवरी से 15 मई तक एस्मा प्रभावी रहेगा।
बोर्ड परीक्षाओं को मिली अति आवश्यक सेवा की मान्यता
मध्यप्रदेश सरकार ने बोर्ड परीक्षाओं को अति आवश्यक सेवा घोषित किया है, जिसके तहत शिक्षा विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों और शिक्षकों के अवकाशों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। प्रदेश में जारी किए गए आदेशों के अनुसार, विशेषकर शिक्षकों को किसी भी परिस्थिति में अवकाश नहीं दिया जाएगा। बोर्ड परीक्षाओं की सुचारू व्यवस्था बनाए रखने के लिए सरकार ने यह कड़ा निर्णय लिया है।
भोपाल के जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) एन.के. अहिरवार ने इस फैसले को जरूरी बताते हुए कहा कि बोर्ड परीक्षाएं छात्रों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होती हैं और स्कूलों में स्थानीय परीक्षाओं की भी तैयारियां चल रही हैं। ऐसे में शिक्षकों के अवकाश स्वीकृत करना संभव नहीं है। इससे पहले भी स्कूल शिक्षा विभाग ने शिक्षकों के अवकाश स्वीकृत न करने का आदेश जारी किया था, लेकिन अब एस्मा लागू होने के बाद यह और कठोर हो गया है।
महाकुंभ स्नान के लिए नहीं मिल सकेगा अवकाश
प्रदेशभर से शिक्षकों और अधिकारियों के अवकाश के आवेदन सबसे अधिक प्रयागराज में महाकुंभ स्नान के लिए आ रहे थे, लेकिन सरकार ने इन्हें मंजूरी देने से इनकार कर दिया है। एस्मा के तहत किसी भी कर्मचारी को इस अवधि में छुट्टी नहीं दी जाएगी। आदेश के अनुसार, बोर्ड परीक्षाओं की तैयारियों में कोई बाधा न आए, इसलिए कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से अपनी ड्यूटी पर उपस्थित रहना होगा।
एस्मा लागू होने से क्या होंगे प्रभाव?
एस्मा लागू होने के बाद न केवल अवकाश स्वीकृत करने पर रोक होगी, बल्कि हड़ताल, प्रदर्शन आदि पर भी पूर्ण रूप से प्रतिबंध रहेगा। यह कानून सुनिश्चित करता है कि परीक्षा संचालन में कोई व्यवधान न आए और शिक्षा व्यवस्था सुचारू रूप से चलती रहे। इसके अतिरिक्त, शिक्षकों को मातृत्व अवकाश (CCL) जैसी सुविधाएं भी इस अवधि में नहीं मिलेंगी।