
नई दिल्ली। सरकार द्वारा आम बजट 2025-26 में आय करदाताओं को दी गई बड़ी राहत के बाद अब आगे भी कई कदम उठाए जा सकते हैं। बजट में आय कर छूट का मुख्य उद्देश्य यह है कि लोग अतिरिक्त बची हुई राशि को बाजार में खर्च करें, जिससे देश की सुस्त होती अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकी जा सके। इसके बाद अब सरकार अगले कुछ हफ्तों में जीएसटी-GST दरों के समायोजन और ब्याज दरों में कटौती जैसे अहम फैसले ले सकती है।
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जीएसटी दरों में बदलाव संभव
सरकार घरेलू मांग को बढ़ाने के लिए अब जीएसटी-GST दरों में बदलाव पर विचार कर रही है। इसके लिए पहले ही एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया है, जिसकी रिपोर्ट जल्द आने की संभावना है। बिहार के उपमुख्यमंत्री अशोक चौधरी की अध्यक्षता में बनी इस समिति की रिपोर्ट से जीएसटी की मौजूदा चार टैक्स स्लैब को कम करने की दिशा में निर्णय लिया जा सकता है। इससे उद्योगों और उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी और बाजार में मांग को बल मिलेगा।
ब्याज दरों में कटौती की संभावना
बाजार की सुस्ती को दूर करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) भी ब्याज दरों में कटौती करने की योजना बना रहा है। संभावना है कि 7 फरवरी 2025 को पेश की जाने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में आरबीआई 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकता है। यह फैसला खासकर रीयल एस्टेट और ऑटोमोबाइल सेक्टर की मांग को बढ़ाने में मददगार साबित होगा। बैंक ऑफ अमेरिका समेत कई शोध एजेंसियों ने अपनी रिपोर्ट में इस कटौती की संभावना जताई है।
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आरबीआई पहले ही बैंकों को एक लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि उपलब्ध करा चुका है, ताकि वे अधिक से अधिक कर्ज बांट सकें। इससे स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि केंद्रीय बैंक आगामी मौद्रिक नीति में ब्याज दरों में कटौती की ओर बढ़ सकता है।
आर्थिक सर्वेक्षण के संकेत
आर्थिक सर्वेक्षण 2025 में यह स्पष्ट किया गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में अस्थिरता के कारण घरेलू मांग को बढ़ाना आवश्यक है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी बजट अभिभाषण में कहा था कि भू-राजनीतिक परिस्थितियां वैश्विक मंदी की ओर इशारा कर रही हैं और भारत को अपनी अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए घरेलू मांग को मजबूत करना होगा।
आयकर छूट से घरेलू मांग में वृद्धि की संभावना
पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार के वी सुब्रमणियन के अनुसार, आयकर में दी गई छूट से घरेलू मांग में 10 प्रतिशत तक का इजाफा संभव है। इससे भारत की आर्थिक विकास दर में अतिरिक्त 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है। सरकार ने इस कर छूट के कारण एक लाख करोड़ रुपये का संभावित राजस्व छोड़ने का निर्णय लिया है, जिससे उपभोक्ताओं के पास अधिक खर्च करने योग्य आय बचेगी।
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सरकार की रणनीति से अर्थव्यवस्था को मिलेगी गति
बजट के जरिए सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह घरेलू उपभोग को बढ़ाकर इकोनॉमी को तेज करना चाहती है। इसके लिए सरकार कई स्तरों पर प्रयास कर रही है। जीएसटी दरों में संभावित कटौती और आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कमी से अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। आने वाले दिनों में सरकार की इन नीतियों का असर बाजार पर दिखने लगेगा।