
नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए केंद्रीय बजट पेश किया। यह आठवीं बार है जब निर्मला सीतारमण ने बजट पेश किया है। इस बार का बजट खासकर मध्यम वर्ग के लिए राहत भरा साबित हुआ है। सरकार ने इनकम टैक्स में छूट देकर वेतनभोगियों को बड़ी राहत दी है। नई व्यवस्था के तहत 12 लाख तक की वार्षिक आय पर अब कोई टैक्स नहीं लगेगा, जिससे करोड़ों करदाताओं को सीधा फायदा मिलेगा।
वित्त वर्ष 2025-26 का केंद्रीय बजट मध्यम वर्ग के लिए बेहद लाभकारी साबित हुआ है। टैक्स छूट की सीमा बढ़ने और नई कर व्यवस्था में बदलाव से करदाताओं को बड़ी राहत मिलेगी। इस बजट के तहत सरकार ने आर्थिक संतुलन बनाए रखने के साथ-साथ करदाताओं को भी राहत देने का प्रयास किया है।
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टैक्स स्लैब में बदलाव, 12 लाख तक की आय पर छूट
वित्त मंत्री ने घोषणा की कि अब नई कर व्यवस्था के तहत 12 लाख तक की वार्षिक आय पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। इससे न केवल मध्यम वर्ग को राहत मिलेगी बल्कि अर्थव्यवस्था को भी बूस्टर मिलेगा। इसके अलावा, टैक्स स्लैब में बदलाव किया गया है, जिससे 24.75 लाख तक कमाने वालों को 1.10 लाख रुपये तक की बचत होगी।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड का बयान
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के अध्यक्ष रवि अग्रवाल ने कहा कि इस बजट में 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर कर छूट और टैक्स स्लैब में बदलाव से 90 प्रतिशत से अधिक करदाता नई कर व्यवस्था को अपनाने के लिए प्रेरित होंगे। वर्तमान में लगभग 75 प्रतिशत करदाता नई कर व्यवस्था के तहत आते हैं, लेकिन यह आंकड़ा बढ़ने की संभावना है।
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टैक्स छूट से एक करोड़ करदाता होंगे मुक्त
वित्त मंत्रालय के अनुसार, टैक्स छूट की सीमा को 7 लाख से बढ़ाकर 12 लाख करने से लगभग एक करोड़ करदाता टैक्स के दायरे से बाहर हो जाएंगे। चालू वित्त वर्ष में दिसंबर तक 8 करोड़ से अधिक करदाताओं ने इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल किया था, जिसमें से 4.9 करोड़ करदाताओं की आय जीरो टैक्स कैटेगरी में थी।
टैक्सपेयर्स के लिए प्रमुख घोषणाएं
- नई कर व्यवस्था के तहत टैक्स स्लैब को सरल बनाया गया है, जो डिफ़ॉल्ट टैक्स व्यवस्था होगी।
- कर छूट की सीमा 25,000 से बढ़ाकर 60,000 रुपये की गई (NRI के लिए लागू नहीं)।
- स्व-कब्जे वाली संपत्ति के वार्षिक मूल्य को शून्य दिखाने की अनुमति दी गई।
- TCS सीमा विदेशी प्रेषणों पर 7 लाख से बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दी गई।
- शैक्षणिक खर्च के लिए किए गए प्रेषण पर कोई TCS लागू नहीं होगा।
- अपडेट रिटर्न दाखिल करने की सीमा 24 महीने से बढ़ाकर 48 महीने कर दी गई, लेकिन इसमें 70% ब्याज शामिल होगा।
- राष्ट्रीय पेंशन योजना में स्वयं के योगदान की कर कटौती (पुरानी कर व्यवस्था के तहत) नाबालिगों के नाम पर किए गए योगदान पर भी लागू होगी।
- वरिष्ठ नागरिकों के लिए ब्याज आय पर कर कटौती की सीमा 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये की गई।
- गैर-व्यक्तियों द्वारा भुगतान किए गए किराए पर TDS की सीमा 2.4 लाख रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये प्रति माह की गई।
- डिविडेंड आय और म्यूचुअल फंड यूनिट्स पर TDS की सीमा 5,000 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये की गई।
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बजट के प्रभाव और करदाताओं की प्रतिक्रिया
इस बजट के बाद देश के मध्यम वर्ग में खुशी की लहर है। वेतनभोगी वर्ग और छोटे व्यवसायियों को इस टैक्स छूट से सीधा फायदा मिलेगा। कर विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार की इस घोषणा से कर अनुपालन बढ़ेगा और लोग अधिक पारदर्शिता से टैक्स भरने के लिए प्रेरित होंगे।