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अब देशभर में लागू होगा ‘एक देश-एक समय’, उल्लंघन पर जुर्माना! जानिए इसके फायदे

भारत में जल्द लागू होगी 'एक देश, एक समय' नीति। जानें, क्यों जरूरी है भारतीय मानक समय (IST) का पालन और कैसे इससे बचेंगी दुर्घटनाएं, बढ़ेगी उत्पादकता और साइबर सुरक्षा होगी मजबूत

By PMS News
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अब देशभर में लागू होगा 'एक देश-एक समय', उल्लंघन पर जुर्माना! जानिए इसके फायदे
अब देशभर में लागू होगा ‘एक देश-एक समय’, उल्लंघन पर जुर्माना! जानिए इसके फायदे

देश में ‘एक देश, एक कर’ और ‘एक देश, एक चुनाव’ की तर्ज पर अब ‘एक देश, एक समय’ की व्यवस्था लागू करने की तैयारी हो रही है। सरकार ने भारतीय मानक समय (Indian Standard Time-IST) को सभी आधिकारिक और वाणिज्यिक प्लेटफार्मों पर अनिवार्य करने का प्रस्ताव रखा है। इस कदम का उद्देश्य समय-संदर्भ की प्रथाओं को मानकीकृत करना और साइबर सुरक्षा तथा तकनीकी कार्यक्षमता को बढ़ावा देना है।

14 फरवरी तक मांगे गए सुझाव

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने इस मसौदे पर 14 फरवरी तक जनता से सुझाव मांगे हैं। प्रस्तावित ‘द लीगल मेट्रोलॉजी (भारतीय मानक समय) नियम, 2024’ के तहत समय-निर्धारण के लिए एक सख्त कानूनी ढांचा तैयार किया गया है। इसके तहत सभी क्षेत्रों में समय-संदर्भ के लिए केवल भारतीय मानक समय का उपयोग किया जाएगा, नए नियमों के उल्लंघन पर जुर्माने का भी प्रावधान रखा गया है। सरकारी कार्यालयों, वित्तीय संचालन, परिवहन, वाणिज्य और कानूनी अनुबंधों में IST को एकमात्र समय-संदर्भ मानना अनिवार्य होगा। सरकारी और वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए किसी अन्य समय-संदर्भ का उपयोग प्रतिबंधित होगा।

समय सिंक्रनाइजेशन सिस्टम का प्रविधान

  • मसौदे में समय-सिंक्रनाइजेशन सिस्टम की स्थापना का भी प्रावधान है। इससे न केवल साइबर सुरक्षा बढ़ेगी बल्कि दूरसंचार, बैंकिंग, रक्षा और 5जी तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसे अत्याधुनिक तकनीकी क्षेत्रों में सटीकता सुनिश्चित होगी।
  • राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला और इसरो (ISRO) के सहयोग से उपभोक्ता मामलों का विभाग एक मजबूत समय प्रसार तंत्र विकसित कर रहा है।

क्यों जरूरी है एक समान समय?

विशेषज्ञों का मानना है कि नैनोसेकंड की सटीकता के साथ समय का पालन दूरसंचार, रक्षा, और वित्तीय लेन-देन के लिए अनिवार्य है। समय में मामूली त्रुटि से भारी नुकसान हो सकता है, जैसे कि रेल या हवाई दुर्घटनाएं। इसके अलावा, अलग-अलग समय जोन से प्रशासनिक और व्यावसायिक प्रक्रियाओं में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

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पूर्वोत्तर में दो टाइम जोन की मांग

हालांकि, देश के पूर्वोत्तर राज्यों में लंबे समय से अलग टाइम जोन की मांग की जा रही है। इन राज्यों में सूर्योदय और सूर्यास्त अन्य क्षेत्रों की तुलना में जल्दी होता है, जिससे उत्पादकता पर असर पड़ता है। जर्नल ‘करंट साइंस’ के शोध के अनुसार, दो टाइम जोन से डेलाइट की बचत के साथ-साथ सालाना 20 मिलियन किलोवाट बिजली की बचत हो सकती है।

भारत में समय निर्धारण का आधार

भारत का मानक समय ग्रीनविच मीन टाइम (GMT) से 82.5° पूर्व है, जो इसे GMT से 5 घंटे 30 मिनट आगे बनाता है। यह समय प्रयागराज को केंद्र मानकर तय किया जाता है। 1948 से पहले कोलकाता का अलग समय जोन होता था, लेकिन इसे बाद में समाप्त कर दिया गया।

अंतरराष्ट्रीय समय जोन का उदाहरण

  • दुनिया के कई बड़े देशों में अलग-अलग टाइम जोन का प्रावधान है। अमेरिका और रूस में 11-11 टाइम जोन हैं, जबकि फ्रांस जैसे छोटे देश में भी 12 टाइम जोन मौजूद हैं। हालांकि, भारत जैसे देशों में एक समान समय प्रणाली अपनाई जाती है।

क्या होंगे फायदे?

  • सटीकता और विश्वसनीयता: IST को मानक समय के रूप में लागू करने से साइबर सुरक्षा और तकनीकी कार्यों की सटीकता बढ़ेगी।
  • अव्यवस्था की रोकथाम: अलग-अलग समय जोन के कारण होने वाली संभावित दुर्घटनाएं और प्रशासनिक अव्यवस्थाएं रुकेंगी।
  • उत्पादकता में वृद्धि: समय-संदर्भ की स्पष्टता से उत्पादकता में सुधार होगा।

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