पैन कार्ड (PAN Card) को अब आधिकारिक रूप से पहचान सत्यापन (Identity Verification) के लिए उपयोग किया जा सकेगा। इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) में संशोधन के बाद, इसे अन्य आधिकारिक वैध दस्तावेजों की श्रेणी में शामिल कर लिया गया है। यह कदम इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया (IBBI) द्वारा जारी संशोधित तकनीकी दिशा-निर्देशों के तहत उठाया गया है।
इस संशोधन का मुख्य उद्देश्य यूजर्स की पहचान को सत्यापित करने की प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी व प्रभावी बनाना है। सूचना उपयोगिताएं (Information Utilities) अब वित्तीय जानकारी को इलेक्ट्रॉनिक डेटाबेस में संग्रहीत करेंगी और गलत डेटा को समाप्त करेंगी। इससे दिवालियापन कार्यवाही में अनावश्यक देरी व विवादों को कम करने में मदद मिलेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि पैन कार्ड के आधिकारिक पहचान दस्तावेज के रूप में उपयोग से वित्तीय लेन-देन और कॉर्पोरेट देनदारों की जानकारी को संरक्षित करने में बड़ी मदद मिलेगी।
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सूचना उपयोगिता और यूआईडीएआई प्रमाणीकरण
भारतीय दिवाला एवं शोधन अक्षमता बोर्ड (IBBI) द्वारा जारी संशोधित दिशानिर्देशों के अनुसार, सूचना उपयोगिताओं को पंजीकरण प्रक्रिया के दौरान उपयोगकर्ताओं के जनसांख्यिकीय प्रमाणीकरण के लिए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) से उप-प्रमाणीकरण उपयोगकर्ता एजेंसी लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य कर दिया गया है। इससे वित्तीय प्रक्रियाओं में अधिक सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।
कॉर्पोरेट देनदारों की जानकारी के लिए अनिवार्य होगा पैन
अब सूचना उपयोगिताओं (IUs) को उन उपयोगकर्ताओं की पहचान सत्यापित करने के लिए पैन कार्ड या अन्य आधिकारिक दस्तावेज़ों का उपयोग करना आवश्यक होगा, जो कॉर्पोरेट देनदारों की जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं। दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (IBC) के तहत सूचना उपयोगिताओं को किसी भी कॉर्पोरेट देनदार (Corporate Debtor) की वित्तीय जानकारी का इलेक्ट्रॉनिक डेटाबेस बनाए रखना आवश्यक होगा। इसमें ऋण, बैलेंस शीट, नकदी प्रवाह विवरण, परिसंपत्तियों आदि का रिकॉर्ड शामिल रहेगा।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह संशोधन IBBI की सक्रिय और व्यावहारिक सोच को दर्शाता है, जो वित्तीय प्रणाली को अधिक पारदर्शी और सुगम बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे कॉर्पोरेट सेक्टर में पारदर्शिता बढ़ेगी और दिवालिया प्रक्रियाओं को अधिक कुशल बनाया जा सकेगा।
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पैन 2.0: डिजिटल पहचान का नया स्वरूप
सरकार अब पैन 2.0 लेकर आई है, जो डिजिटल पहचान प्रणाली को और अधिक मजबूत बनाएगा। पैन 2.0, एम-आधार (m-Aadhaar) या ई-आधार (e-Aadhaar) सिस्टम के समान होगा और डिजिटल वित्तीय लेन-देन को और अधिक सुरक्षित बनाएगा।
नए पैन 2.0 सिस्टम के तहत, पैन कार्ड में डायनेमिक क्यूआर कोड (Dynamic QR Code) जोड़ा जाएगा, जो पहचान सत्यापन और KYC प्रक्रिया को आसान बनाएगा। इसके तहत पते के प्रमाण के लिए भी यह उपयोगी होगा। सरकार ने मौजूदा पैन इंफ्रास्ट्रक्चर के अपग्रेड के लिए 1,435 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
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पैन 2.0 के लाभ और विशेषज्ञों की राय
पैन कार्ड पहले केवल कर (Tax) पहचान पत्र के रूप में उपयोग होता था, लेकिन अब इसे केवाईसी (KYC) प्रक्रिया में एक मजबूत भूमिका निभाने के लिए डिज़ाइन किया जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि नए पैन 2.0 में कई सुधारों की आवश्यकता हो सकती है, खासकर आवासीय जानकारी प्रदर्शित करने की इसकी क्षमता को लेकर। वर्तमान में, पैन कार्ड को पहचान दस्तावेज़ (OVD – Officially Valid Document) के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है। यह मुख्य रूप से कर और मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए एक विशिष्ट पहचान संख्या के रूप में कार्य करता है। हालांकि, आधार से लिंक होने के कारण, यह केवाईसी सत्यापन प्रक्रिया को सक्षम करने में सहायक हो सकता है।